Gantantra Diwas samaroh par bulane ke liye bhabhi ko patra “गणतंत्र दिवस समारोह पर बुलाने के लिए भाभी को पत्र ”

गणतंत्र दिवस समारोह पर बुलाने के लिए भाभी को पत्र  

26, थामसन रोड,

नई दिल्ली ।

दिनांक 18 जनवरी,

प्रिय भाभी सुनंदा,

सस्नेह नमस्ते ।

अत्र कुशलं तत्रास्तु । तुम्हारा प्यार में डूबा हुआ पत्र मिला । जब से तुम लोग कोलकाता गए हो, तब से दर्शनों के लिए तरस गए हैं । कच्ची गृहस्थी को लेकर मेरा इतना दूर पहुँचना भी तो संभव नहीं । फिर घर में सयानी लड़की है, अकेले भी नहीं छोड़ा जाता । हाँ, तुम चाहो तो मिलन हो सकता है और भैया का पास भी ड्यू हो गया होगा।

भाभी ! तुम लोग इस बार दिल्ली में गणतंत्र-समारोह पर आओ । मौसम भी बढ़िया है । गत वर्षों तथा दूसरे नगरों की अपेक्षा इस बार यह समारोह विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है । इसके लिए बहुत दिनों से तैयारियाँ चल रही हैं। देश के सभी प्रांतों के लोक-जीवन की झाँकियाँ देखने को मिलती हैं। हमारे पास जितने भी बढ़िया साधन देश की सुरक्षा के लिए उपलब्ध हैं; वे सब इस अवसर पर दिखाए जाते हैं । ऐतिहासिक लाल किले में कवि सम्मेलन तथा मुशायरा होता है जिसमें देशभर के प्रसिद्ध कवि तथा उर्दू के शायर भाग लेते हैं। सभी राजकीय भवन विशेष विद्युत प्रकाश से जगमगा उठते हैं । आतिशबाजियाँ छुड़ाई जाती हैं । सच मानो, 26 जनवरी बड़े उल्लास का दिन है । इस बार यह दिवस हमारे बीच मनाओ। तुम्हारे ननदोई भी अपनी ओर से निमंत्रण लिखा रहे हैं।

कोलकाता में तुम्हारा मन तो अच्छी तरह लग गया होगा । भैया तो अपने काम में पहले जैसे ही व्यस्त होंगे । तभी उनके लिखित पत्रों को तरसना पड़ रहा है । चुन्नू, मुन्नू तथा अन्य सभी बच्चे तुम लोगों को बहुत स्मरण करते हैं और प्रणाम कहते हैं । तुम्हारे ननदोई जी की ओर से भी यथायोग्य नमस्कार । भैया को भी हम सबकी ओर से नमस्ते कहना और मृदुला को प्यार ।

शेष फिर मिलने पर,

तुम्हारी स्नेहमयी ननद,

प्रभा

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