Devar ka Bhabhi ko patra-Devar ke putra ke janam par “देवर का भाभी को पत्र -देवेर के पुत्र के जन्म पर” Hindi Letter Writing

देवर का भाभी को पत्र -देवेर के पुत्र के जन्म पर

Patra-lekhan

 

दिल्ली।

दिनांक 13 जून, ………..

पूज्या भाभी जी,

सादर नमस्ते ।

अत्र कुशलं तत्रास्तु । कल आपका स्नेह से भरा हुआ पत्र मिला, समाचार से अवगत हुआ । बच्चा और जच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं । आपका लिखित संदेश विमला को सुना दिया है। उसने कहा है कि दीदी को लिख दें कि मैं उनके कथन का अक्षरश: पालन करूँगी और वे स्वयं आकर मुन्ने को आशीर्वाद दें। माता जी विमला का पुरा-पूरा ध्यान रख रही हैं। वह पहले दो दिन अवश्य ज्वरग्रस्त हो गई थी । डॉक्टर महोदय ने बच्चे को उसका दूध देने के लिए मना कर दिया था । वह बेचारा डिब्बे के दूध पर पल रहा है।

विमला इस बात का सदैव ध्यान रखती है कि माता जी किसी कारणवश रुष्ट न हो जाएँ । आप तो उनके उग्र स्वभाव से परिचित ही हो । अपने आगे वे किसी की नहीं चलने देती । मुन्ना बिलकुल नयनतारा पर गया है और ताई तथा जीजी को अपनी मूक भाषा में शैया पर लेटा-लेटा याद करता रहता है । नयनतारा के लिए उसका एक छोटा-सा चित्र इस पत्र के साथ भेज रहा हूँ।

आप भाई साहब के लौटने पर उन्हें लेकर यथाशीघ्र मुन्ने को आशीर्वाद देने के लिए पहुँचें । नयनतारा को हमारी ओर से प्यार करना । माता जी आपको आशीष लिखा रही हैं और विमला चरण स्पर्श ।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।

आपका स्नेह भाजन,

सुमन कुमार

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