Vivah ke uprant Mata ka Putri ko patra “विवाह के उपरांत माता का पुत्री को पत्र” Hindi Letter Writing.

विवाह के उपरांत माता का पुत्री को पत्र।

Patra-lekhan

 

श्रेय कुटीर,

दिल्ली ।

दिनांक 3 अगस्त,

प्रिय संगीता,

स्नेह आशीष ।

आशा है, सकुशल होगी । ससुराल पहुँचकर तुमने कोई पत्र नहीं लिखा, सो तनिक चिंता हो रही है। कम-से-कम अपनी और परिवार की कुशल तो लिखती रहा करो । निखिल बाबू ने भी पत्र डालने का वचन दिया था. सो शायद घर जाकर भूल गए । बेटी, घर के किसी भी सदस्य की बात का बुरा न मानना । सास-ससुर की खूब सेवा करना । प्रभात बाबू को भी किसी बात की शिकायत करने का अवसर न देना । छोटी ननद को बड़ी बहिन-सा प्यार देना । अपने शिष्ट एवं सौम्य स्वभाव से इन सभी को मोह लिया, तो तुम्हारा घर स्वर्ग बन जाएगा । तुम्हारे जीवन में सदैव सुख और शांति ही विराजमान रहेगी । हमें दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसे की आशा हम किसी दूसरे से करते हैं । तुम्हारी पसंद की किसी भी वस्तु को तुम्हारी ननद यदि लेना चाहे तो देने में संकोच मत करना । वैसे तो तुम स्वयं समझदार हो, फिर भी लिख रही हैं कि हृदय पर विजय पाने के लिए त्याग करना अनिवार्य है।

यहाँ जैसा वातावरण वहाँ पर भी रखना। साफ-सुथरा घर, आह्लाद से खिला हुआ आँगन और सखियों के अधरों पर खिलती हुई मुसकान, तब तो समझूगी कि तुमने माँ की शिक्षा को सार्थक किया है।

जब से तुम यहाँ से गई हो, तब से मेरे मन को उदासी के मेघों ने घेर रखा है। कभी-कभी यही सोचकर उदासी के मेघों से मन को दूर ले जाने का प्रयास करती हूँ कि लड़की पराया धन होती है। पति का घर ही उसका वास्तविक घर होता है । पति का सुख ही उसका सच्चा सुख होता है, सो बेटी ! तुम अपने घर की ‘लक्ष्मी’ बनो, अपने घर की शोभा बनो, बस इसी से मेरे मन को शांति मिलेगी।

बेटी! अंत में एक बात और लिख रही हूँ कि विनम्रता के दामन को कभी मत छोड़ना । सच्ची गृहिणी का यही आभूषण है । इसी से तुम स्वयं को बुराइयों से बचा पाओगी और निखिल बाबू की आँखों का तारा बन जाओगी । उनकी प्रतिष्ठा का सदैव ध्यान रखना और अधिक क्या लिखू?

किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो लिखना । श्रेय और श्रुति तुम्हें बहुत याद करते हैं। अपने सुभीते के अनुसार इनसे मिलने की तिथि भी लिख भेजना। तुम्हारे पिता जी तुम दोनों को आशीष देते हैं और परिवार के सदस्यों को यथा/योग्य नमस्कार कहते हैं ।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।

तुम्हारी स्नेहमयी माता,

आशा

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